Rahul Tomar   (Rahulshabd)
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Joined 26 December 2016


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17 DEC 2021 AT 18:50

तुम्हारे पास मुझे याद रखने का कोई कारण नहीं है
साथ ही ऐसी कोई वजह भी नहीं कि तुम मुझे भुला दो
मैं उस बारिश की तरह था जिसके होने पर,
पहले तुम खुश हुई, फिर दुखी हो गईं
और जब बारिश थमी
तो तुम काम पर ऐसे निकल गईं
जैसे बारिश कभी हुई ही नहीं थी।

- राहुल तोमर

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17 DEC 2021 AT 10:20

झूठ इस क़दर शामिल था जीवन में
कि उससे बड़ा कोई और सच था ही नहीं
सच की खोज किसी खोई हुई सभ्यता का
बिसरा हुआ वाक्य था जिसे सुनकर अब
बदन पर कोई कँपकँपी नहीं होती थी।

- राहुल तोमर

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16 DEC 2021 AT 16:59

मैं चाहता हूँ कि नफ़रत से भरे इस समय में
बचे रहें प्रेम के थोड़े से क्षण

पाषाण हो चुके ह्रदय में बची रहे 
काई भर प्रेम जमने जितनी करुणा

व्यावसायिक पत्रिकाओं के अम्बारों और
लेन देन का हिसाब रखते मोटे रजिस्टरों के मध्य
बची रहे कविता की एक पतली सी किताब

और बची रहे इतनी मनुष्यता कि
उतर आए हमारी आँखों में नमी 
देखकर किसी दूसरे की पसीजी आँख।

- राहुल तोमर

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2 JUL 2021 AT 6:14


मैं जुड़ना चाहता था जूड़े से फूल बनकर
मैं जुड़ना चाहता था सड़क से पहिया बनकर
मैं जुड़ना चाहता था धरती से पेड़ बनकर
मैं जुड़ना चाहता था अंतरिक्ष से तारे और
आकाश से चिड़िया बनकर

मैं चीज़ों से, लोगों से जुड़ना चाहता था
उन्हें और सुंदर करता हुआ

जबकि सबकुछ छूटता रहा
धीरे धीरे
मुझे कुरूप करता हुआ

- राहुल तोमर

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30 JUN 2021 AT 12:03

नदी हमेशा रहती है
सूखने के बाद भी।
सूखने के पश्चात वह उन लोगों के भीतर
आत्मा की आवाज़ बनकर बहती है
जो उसे याद करके रोते हैं।
जो उसे भूल चुके हैं उनके भीतर वह बहती है
उस आवाज़ की अनुपस्थिति बनकर।

- राहुल तोमर

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24 JUN 2021 AT 9:55

१)
उसने किया प्रेम
पर उसे कहा गया नपुंसक, छक्का , नामर्द
इस तरह पुरुषों ने सुरक्षित रखी अपनी मर्दानगी।

२)
औरत करे मर्दों से प्रेम और मर्द चाहें औरतों को
कुछ यूँ स्थापित की गई लिंग की अनिवार्यता
वह मर्द था उसने थामा मर्द का हाथ और
स्थापित किया प्रेम।

- राहुल तोमर

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20 JUN 2021 AT 14:10

हाशिये का गीत इतना भिन्न था
कि मुख्यधारा के समझ ही न लगा

उन्होंने पहले गीत की धुन को ख़राब बताया
फिर बोले कि सुर ठीक से नहीं लगे हैं
और फिर कहा, इन शब्दों का कोई मतलब नहीं

तब से हाशिये पर भी सुनाई दे रहा है
मुख्यधारा का गीत।

- राहुल तोमर

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17 JUN 2021 AT 6:00



पेड़ किताबें नहीं पढ़ते वरना वे
यह जान कर चकित रह जाते कि मनुष्य
उन्हें काट कर उन्हीं के अवशेषों पर
दर्ज कर रहा उन्हें बचाने की तरकीबें....

- राहुल तोमर

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4 MAY 2021 AT 18:28

जीवन
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सुख विलुप्ती की कगार पर खड़ी उस संकटग्रस्त चिड़िया का नाम है जिसके मिलने की ख़बर कभी-कभार कानों में पड़ जाती है

दुख वह जंगली घास है जिसे हर सुबह बस इसलिए काटता हूँ
कि जब कभी सुख नामक चिड़िया दिखे तो उसे झट से
पकड़ लूँ

उम्मीद कटी घास के गट्ठर में कहीं घोंसले का दिख
जाना है

और जीवन है,
उसी गट्ठर पर
एक ही तरीक़े से बार-बार चढ़ने के प्रयास में
हर बार नए तरीक़े से गिरना।

- राहुल तोमर

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6 FEB 2021 AT 8:28

उसके के साथ मुझे बोट हाउस में रहना है और ट्री हाउस में भी
और बीच पर भी और उस कमरे में भी जिसकी खिड़की आसमान
की ओर खुलती है और ऐसी हर जगह पर जहाँ पर रहा जा सकता है
और वहां पर भी जहाँ रहना असम्भव हो
क्योंकि मुझे पता है उसका साथ हर असम्भव में से बड़े प्यार से 'अ'
काट देता है।

- राहुल तोमर

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