Prince Raturi   (Aahil)
2.4k Followers · 423 Following

Joined 13 November 2016


Joined 13 November 2016
18 AUG 2021 AT 8:29

अनगिनत सवालों को लेकर जी रहा हूँ मैं
कुछ हर वक़्त घाव कर जाते हैं
चेहरे पर मुस्कान बस कहने भर के लिए
आँखों के अश्क़ दिखाए नहीं जाते हैं

-


4 DEC 2020 AT 20:21

हर किसी का चेहरा आज मुखौटे के पीछे है
उसका ग़म भी उसके हँसी के पीछे है

डर नहीं लगता मुझको किसी से भी
मेरे वालिद का हाथ आज भी मेरे पीछे है

तलब नहीं मुझे ज्यादा शानोशौकत की
इक छोटा सा मकान मेरा उन पहाड़ों के पीछे है

कुछ नहीं लेकिन जिसने सिर्फ लोग कमाए "आहिल"
आज कतारों में लोग उसके जनाज़े के पीछे है

-


4 DEC 2020 AT 13:34

ज़ख़्म रहता है जब ताज़ा-हरा
क्यों उसे सभी से छुपाते हैं लोग

ग़र इश्क़ में कभी नहीं मिलती वफ़ा
क्यों इश्क़ में पड़ जाते हैं लोग

दोस्ती-रिश्तेदारी ग़र सिर्फ नाम की हैं
क्यों झूठी कसमें खाते हैं लोग

ग़र दूर ही करना होता है खुदसे "आहिल"
क्यों अपनी आदत लगाते हैं लोग

-


26 NOV 2020 AT 12:11

अज़नबी से हो गये हम घर के चार दीवारों में,
कुछ काम होने पर बस बातें किया करते हैं

-


8 NOV 2020 AT 21:05

तुम जैसी हो वैसी ही अच्छी लगती हो

तुम्हारा यूँ किसी और के लिए बदलना
बड़ा ख़लता है मुझे
यूँ बे-वज़ह सजना सवारना
अब बड़ा अख़रता है मुझे
तुम जैसी हो वैसी ही अच्छी लगती हो

तुम्हारी ख़ूबसूरती,
तुम्हारी सादगी में छुपी है
तुम्हारा उसे किसी और के लिए छिपाना
अब खटकता है मुझे
तुम जैसी हो वैसी ही अच्छी लगती हो

-


8 NOV 2020 AT 0:54

हाँ, मर्द रोता है।

जब बात कोई चुभ जाती है,
कोई बात नहीं कह देता है
लेकिन मर्द अंदर से हर दफ़ा,
उस बात को याद कर रोता है।
हाँ, मर्द रोता है।

जब चोट कहीं लग जाती है,
सब ठीक है कह देता है
लेकिन अंतर्मन में आवाज़ इक आती है
"माँ" को याद कर रो लेता है।
हाँ, मर्द रोता है।

जब कोई अपना दूर हो जाता है,
ख़ुश रहो तुम जहाँ रहो कह देता है
लेकिन वो पीड़ दिल की हुई जो
उसका इज़हार कर न पाता है।
हाँ, मर्द रोता है।

-


29 OCT 2020 AT 19:23

जुनून-ए-इश्क़ में इतना भी इल्म न रहा
ख़ुद ही को हार गये हम, उन्हें पाने के चक्कर में

-


21 OCT 2020 AT 1:28

फ़लसफ़ा कुछ अज़ब सा है इश्क़-मोहब्बत का
रुख़सती से ज्यादा मिलाप पर अश्क़ बहते है

-


20 OCT 2020 AT 11:43

रोज़ मुलाक़ातें हुआ करती हैं कश्ती की साहिल से
हर रोज़ हिज़्र भी देखना पड़ता है कश्ती को "आहिल"

-


20 OCT 2020 AT 1:33

कितनी बेचैनियाँ है ज़ेहन में मेरे,
लब्ज़ होठों से निकलने से पहले कतरा रहें हैं।

-


Fetching Prince Raturi Quotes