हाँ, मर्द रोता है।
जब बात कोई चुभ जाती है,
कोई बात नहीं कह देता है
लेकिन मर्द अंदर से हर दफ़ा,
उस बात को याद कर रोता है।
हाँ, मर्द रोता है।
जब चोट कहीं लग जाती है,
सब ठीक है कह देता है
लेकिन अंतर्मन में आवाज़ इक आती है
"माँ" को याद कर रो लेता है।
हाँ, मर्द रोता है।
जब कोई अपना दूर हो जाता है,
ख़ुश रहो तुम जहाँ रहो कह देता है
लेकिन वो पीड़ दिल की हुई जो
उसका इज़हार कर न पाता है।
हाँ, मर्द रोता है।
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