कहानी फिर शुरू होती
अगर तुम मिलने आ जाते
ले आता चाँद को वापस
अगर तुम तनहा रह जाते
बनाता धुंध को ग़ज़लें
तुम्हारी शाम भर देता
सुनाता फिर वही किस्से
तुम्हे किरदार कर देता
तुम्हारी ही रफ़ाक़त में
तुम्हे वाज़ेह कर देता
तुम्हे आज़ाद कर देता
अगर तुम मिलने आ जाते
- ज़ौक़ | Zouq