ये धूल मेरा श्रृंगार कर रही हैमेरी मेहनत मेरे माथे पे लिख रही हैअब हारने जीतने की फिक्र किसे हैअंत धूल ही धूल मे मिल रही है - Dr.प्रसून तिवारी "गर्दिश
ये धूल मेरा श्रृंगार कर रही हैमेरी मेहनत मेरे माथे पे लिख रही हैअब हारने जीतने की फिक्र किसे हैअंत धूल ही धूल मे मिल रही है
- Dr.प्रसून तिवारी "गर्दिश