Pranay Kumar   (Pranay kumar)
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Joined 28 January 2017


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Joined 28 January 2017
18 MAR AT 11:18

वह काम आपके किसी काम का नहीं, जो काम के वक्त आपके काम ना आए।

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14 DEC 2023 AT 21:44

जैसे चाह के भी चाँद की रोशनी दिन नहीं ला सकती,
ठीक वैसे ही एक स्त्री चाह के भी अपने बेरोजगार प्रेमी से विवाह नहीं कर सकती।

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14 DEC 2023 AT 13:54


मेरी वाणी में जहरीले कांटे इसलिए उगे आए हैं ताकि गुलाब से कोमल हृदय तक सब ना पहुंच सके।

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13 DEC 2023 AT 21:29

जिसे पुरुष झगड़ा समझता है
असल में स्त्री के लिए वह मनोरंजन मात्र है।

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14 SEP 2021 AT 9:56

मुझे Shakespeare के S*X से बेहतर, प्रेमचंद का प्रेम पढ़ने में ज्यादा रुचि है

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13 JUN 2021 AT 19:07

सामाजिक दूरी बनाएं रखें, मगर सामाजिक बने रहें।

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22 APR 2021 AT 17:10

घर में बैठे सुबह से शाम हो रहे हैं
ये कैसा महबूब है...
अब मुझे ही छूने में उसके हाथ काँप रहे हैं।

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16 APR 2021 AT 18:41

जब खुशियों की लहर उठती है
तो गमों का पहाड़ खुद-ब-खुद टूट जाता है।

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14 APR 2021 AT 21:49

किताबों से
प्यार को समझपाना
ज़मीन पर पैर रखकर
ग्रहों की सैर करना जैसा है।

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7 FEB 2020 AT 16:44

मेरे लिए तो हर दिन रोज़ डे है,
क्योंकि मेरे पास मेरी गुलाब है।

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