रिश्तें बन तो जाते हैं,
पर उनको निभाना आसान नहीं होता,
कहना तो बहुत कुछ चाहते हैं,
पर कभी -कभी कहना आसान नहीं होता।।।।
लोग अपने मतलब के लिए,
रिश्तें तो बना लेते हैं,
मगर मतलब हो जाने के बाद,
रिश्तें और दिल दोनों टूट जाते हैं।।।।
अगर कोई एक गलती कर लेता है,
तो लोग ज़िंदगी दगी भर उसे याद रखते हैं,
मगर उसके द्वारा की गई ढेरों अच्छाइयाँ,
लोग अक्सर भूल जाते हैं।।।।।
मतलबी लोगों के लिए,रिश्तों के कोई मायने नहीं होते हैं,
वे न कुछ पाते हैं,और न कुछ खोते हैं,
नुकसान तो उनका होता है,
जिनके लिए रिश्तों की अहमियत होती है,
और वे लोग हँसते-हँसते जी रहे हैं,
जिनके लिए रिश्तों की सिर्फ़ कीमत होती हैं।।।।
रिश्तें टूटने के लिए,एक गलती ही काफ़ी होती है,
लेकिन रिश्तें बरकरार रखने के लिए,माफ़ी ही सहायक होती है,
रिश्तों की डोर बहुत कमज़ोर होती है,
जिसके टूटते ही,ज़िंदगी की पतंग कट जाती है,
रिश्तों को निभाना सीखते-सीखते,बहुत देर हो जाती हैं।।।।
मगर अफ़सोस तो यह है कि
जिनके लिए रिश्तें मायने रखते हैं,वे निभा नहीं पाते हैं,
और फ़िर उम्र भर खुशी से नहीं जी पाते हैं।।।।
आज के ज़माने में वह ही खुश है,
जिसके चेहरे पर है नकली मुस्कान,
यह थी यारों आज के ज़माने की,
बदलते रिश्तों की दास्तान।— % &
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