सुकून में हुआ करती थीशक्सियत मेरी..फ़िर रूह के पिंजरे सेन जाने कौनसा परिंदा मैंने रिहा करदियाअब रातें भी आती हैतो नींद से जगाने के लिए। - P. S. Aislinn
सुकून में हुआ करती थीशक्सियत मेरी..फ़िर रूह के पिंजरे सेन जाने कौनसा परिंदा मैंने रिहा करदियाअब रातें भी आती हैतो नींद से जगाने के लिए।
- P. S. Aislinn