18 APR 2017 AT 12:16

सुकून में हुआ करती थी
शक्सियत मेरी..
फ़िर रूह के पिंजरे से
न जाने कौनसा परिंदा
मैंने रिहा करदिया
अब रातें भी आती है
तो नींद से जगाने के लिए।

- P. S. Aislinn