12 JAN 2017 AT 19:52

नयी सोच लिए बदलाव की ख्वाइश से
जो राजनीति में आते है,
झूठे ही अक्सर उनकी
ईमानदारी पर ऊँगली उठाते है।
दुनिया की समझ हो या न हो,
परायों के लिए तो क्या
अपनों के लिए भी शायद प्रेम-भाव उनमें न हो।
बेवजह दूसरों में कमियां टटोलने में ऐसे लोग सबसे आगे।
समय बर्बादी के लिए कोई मुद्दा मिल जाये बस,
सबके अन्दर के अचानक महात्मा गाँधी है जागे।
सवाल है उन्हीं लोगों से।
लग जाये अगर एक ज़ोर का गाल पर,
करोगे दूसरा आगे ?

- P. S. Aislinn