एक फूल पसंद आया, तोड़ा और पास रख लिया।कुछ वक़्त की ही थी दिल्लगी...क्या मालूम था,बस यादों के रंग ही रह जाएँगे कुछ धुंधले से...महक जिनमें अब बाकी नहीं। - P. S. Aislinn
एक फूल पसंद आया, तोड़ा और पास रख लिया।कुछ वक़्त की ही थी दिल्लगी...क्या मालूम था,बस यादों के रंग ही रह जाएँगे कुछ धुंधले से...महक जिनमें अब बाकी नहीं।
- P. S. Aislinn