खुद का इतना बोझ क्यों क्या बुन रहा, क्यों बन रहामिट्टी का है इन्सान तूक्यों सज रहा, क्या दिखा रहा -
खुद का इतना बोझ क्यों क्या बुन रहा, क्यों बन रहामिट्टी का है इन्सान तूक्यों सज रहा, क्या दिखा रहा
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अफवाहों में आंधी की लालसा थीना जाने ये शाम दुल्हन कब बनी । -
अफवाहों में आंधी की लालसा थीना जाने ये शाम दुल्हन कब बनी ।
एक सुबह आसमान में सजती हैऔर सैकड़ों उम्मीद की बारात ज़मीन पेफासला ही तय कर रहे होते किशाम रिश्ता तोड़ जाती -
एक सुबह आसमान में सजती हैऔर सैकड़ों उम्मीद की बारात ज़मीन पेफासला ही तय कर रहे होते किशाम रिश्ता तोड़ जाती
kismat kadak patti si nahi,par mijaz tez adrak sa haiiss zindegi toh sapno ka payala bana le,baith ke taazi chuski fr kabhi -
kismat kadak patti si nahi,par mijaz tez adrak sa haiiss zindegi toh sapno ka payala bana le,baith ke taazi chuski fr kabhi
कभी महफ़िलें थी सजतीचाय के स्वाद से, गपशप की आवाज़ सेअब बस थोड़ा यादों के ज़ायके चख लेतेऔर तस्वीरों में दोस्तों के साथ पनाह मिल जाती -
कभी महफ़िलें थी सजतीचाय के स्वाद से, गपशप की आवाज़ सेअब बस थोड़ा यादों के ज़ायके चख लेतेऔर तस्वीरों में दोस्तों के साथ पनाह मिल जाती
हिसाब देख रही भटके क़दमों का,कहीं वो रास्ता मिल जाऐ,जहाँ इतना नशा था उसका,कि नामुमकिन मंज़िल वही था,और वापसी के निशान भी नहीं थे,नाजाने मोहब्बत थी या हम लापता थे -
हिसाब देख रही भटके क़दमों का,कहीं वो रास्ता मिल जाऐ,जहाँ इतना नशा था उसका,कि नामुमकिन मंज़िल वही था,और वापसी के निशान भी नहीं थे,नाजाने मोहब्बत थी या हम लापता थे
तमाम शायरों के लफ़्ज़ हार जायेंगे जब ये नज़रें बहस करने लगेंगी -
तमाम शायरों के लफ़्ज़ हार जायेंगे जब ये नज़रें बहस करने लगेंगी
एक सुबह आसमान में सजती हैंऔर सैकड़ों उम्मीद की बारात ज़मीन पेफासला ही तय कर रहे होते किशाम रिश्ता तोड़ जाती -
एक सुबह आसमान में सजती हैंऔर सैकड़ों उम्मीद की बारात ज़मीन पेफासला ही तय कर रहे होते किशाम रिश्ता तोड़ जाती
पटरी की लत ना लगाना ऐ ज़िंदेगी,कुछ ठिकानों को रास्ते नहीं, इरादों की हवा ले जाती है -
पटरी की लत ना लगाना ऐ ज़िंदेगी,कुछ ठिकानों को रास्ते नहीं, इरादों की हवा ले जाती है
सोचो सबका किस्मत काव्य अगर बिना लकीर के होते हाथ, खुदा भी उत्सुक देखता, दोश असफलता का क्या फिर भी उसी को देता इन्सान । -
सोचो सबका किस्मत काव्य अगर बिना लकीर के होते हाथ, खुदा भी उत्सुक देखता, दोश असफलता का क्या फिर भी उसी को देता इन्सान ।