"कहाँ जा रहे हो?" घर से निकलते ही किसी ने आवाज़ दी और अपना मिजाज़ खराब. अब उन 'पडोसी' साहब को मुस्कुराते हुए बताओ की भाई यूँही ज़रा बाज़ार जा रहे थे. बड़े शहरों में ये नखरे नहीं हैं. वहाँ कोई कभी नहीं पूछता "कहाँ जा रहे हो?" " दो दिन से दिखे नहीं कहीं गए थे क्या?" "कल घर पर कौन आई थी, फ्रेंड है क्या?" और भी जाने क्या क्या.बड़े शहरों में बड़े आज़ाद ख्याल लोग रहते हैं.उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि "कल आपको देखा था बाजार में सिगरेट थी आपके हाथ में !" हाँ ये सब आज़ादी होते हुए भी अपना 'छोटा शहर' हमेशा याद आता है...

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- Piyush Mishra