कहता हूँ एक बात
आज की रात
जानम! हो सके तो सोना मत
सुन सको गर बात मेरी
है छुपी जो बात में
जानम!हो सके तो रोना मत
ऐसी ही एक रात
कह रहा था जब मैं तुमसे ऐसी ही एक बात
एक बूँद टपक पड़ी थी
हथेली पर मेरे
जो आयी थी आँख से तुम्हारे
आज तक माफ़ नहीं कर पाया हूँ मैं
उस पल, उस बूँद के लिए,
अपने आप को
सच कहूँ?
कह नहीं पाया हूँ अब तक
जो सोचता हूँ मैं
और जो कह गया अभी
सोचा नहीं था कभी
और जब कहने चला तो
आज फिर से सो गया तू
ख़्वाब में फिर खो गया तू
रह गया मैं
अधूरी बात
पूरी रात!!
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