2 अक्टूबर और गांधीजी की प्रासंगिकता
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इस देश में गांधीजी को लेकर कई खेमे हैं।
एक खेमा वो है जो 2 अक्टूबर हो या 30 जनवरी, बात-बेबात बस एक ही बात कहता रहता है- "गांधीजी की हत्या आरएसएस ने की"
दूसरा खेमा उसी आरएसएस के प्रचारक रहे वर्तमान प्रधानमंत्री और उनके आस-पास के लोगों का है जो भाषण, टीवी, ट्विटर, फेसबुक पर एक ही बात कहीं भी घुसेड़ देता है- "गांधीजी ने कहा था।"
तीसरे खेमे में ऊपर वाले दोनों के समर्थक हैं जिनके लिए 2 अक्टूबर से अधिक महत्व 1 अक्टूबर का है जिस दिन वो व्हाट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर पर गांधीजी की फोटो के साथ एक ही लाईन चिपकाते चलते हैं - "स्टॉक भर लो, कल ठेका बंद रहेगा"
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