किसे और क्या बयान करूं तुम्हें?कुछ तुम्हें दर्द कहेंगे कुछ कहेंगे मर्ज़ मेरा ।अपनी खामोशी से ढके रखता हूं तुम्हें।कुछ कहेंगे तुम्हें प्यार की पट्टी बंधी आंखों पर मेरे ।कुछ कहेंगे मुझे कुछ कहेंगे बेवफ़ा तुम्हें।खामोश हूं कि तुम सनम भी थीं और सितम भी ।कुछ मजबूर कहेंगे कुछ कहेंगे दगाबाज़ तुम्हें । -
किसे और क्या बयान करूं तुम्हें?कुछ तुम्हें दर्द कहेंगे कुछ कहेंगे मर्ज़ मेरा ।अपनी खामोशी से ढके रखता हूं तुम्हें।कुछ कहेंगे तुम्हें प्यार की पट्टी बंधी आंखों पर मेरे ।कुछ कहेंगे मुझे कुछ कहेंगे बेवफ़ा तुम्हें।खामोश हूं कि तुम सनम भी थीं और सितम भी ।कुछ मजबूर कहेंगे कुछ कहेंगे दगाबाज़ तुम्हें ।
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कुछ प्रेम कहानियां तस्वीरों ,तोहफों, उत्सवों में नहीं दिखेंगी ।कुछ प्रेम कहानियांशर्मीली और अंतर्मुखी हैं ।(पूरा पढ़ें अनुशीर्षक में) -
कुछ प्रेम कहानियां तस्वीरों ,तोहफों, उत्सवों में नहीं दिखेंगी ।कुछ प्रेम कहानियांशर्मीली और अंतर्मुखी हैं ।(पूरा पढ़ें अनुशीर्षक में)
In order to live a sane life, you have to deal with a lot of Insanity. -
In order to live a sane life, you have to deal with a lot of Insanity.
ख़ुद को बना और मिटा,दोनों ही सकता था मैं ।ये हक़ मगर मैं अपने महबूब को दे चुका था। -
ख़ुद को बना और मिटा,दोनों ही सकता था मैं ।ये हक़ मगर मैं अपने महबूब को दे चुका था।
बाप एक ही होता है ।बाकी सब बाप बनना चाहते हैं । -
बाप एक ही होता है ।बाकी सब बाप बनना चाहते हैं ।
मुझे सुन पाने कोअपने झूठ होंगे तुम्हें दोहराने,फरेब तुम्हारे ,जो रहे रकीब रिश्ते के हमारे ।...(पूरा पढ़ें अनुशीर्षक में) -
मुझे सुन पाने कोअपने झूठ होंगे तुम्हें दोहराने,फरेब तुम्हारे ,जो रहे रकीब रिश्ते के हमारे ।...(पूरा पढ़ें अनुशीर्षक में)
कुछ लिख देते हैं लफ्ज़ों को तोकुछ जी लेते हैं शायरी ता उम्र ।शायर सभी हैं यहां ! -
कुछ लिख देते हैं लफ्ज़ों को तोकुछ जी लेते हैं शायरी ता उम्र ।शायर सभी हैं यहां !
मेरा ईमान काफी नहीं जिंदगी बिताने को ?क्या ये साथ काफी नहीं था रिश्ते निभाने को ?मैंने मांगे नहीं थे ये रिश्ते जो ढोने पड़ गए ।यहां बेईमान काफी हैं मूरख बनाने को !कच्चे थे मेरे सपने पर तोड़ते रहे तुम सब ।कहां जाऊं मैं अपने ख़्वाब वापिस पाने को ? -
मेरा ईमान काफी नहीं जिंदगी बिताने को ?क्या ये साथ काफी नहीं था रिश्ते निभाने को ?मैंने मांगे नहीं थे ये रिश्ते जो ढोने पड़ गए ।यहां बेईमान काफी हैं मूरख बनाने को !कच्चे थे मेरे सपने पर तोड़ते रहे तुम सब ।कहां जाऊं मैं अपने ख़्वाब वापिस पाने को ?