Deepshikha V S   (~© The Perpetual Inkpot)
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Advocate• Motivational Writer
Joined 20 February 2017


Advocate• Motivational Writer
Joined 20 February 2017
11 MAR AT 20:27

किसे और क्या बयान करूं तुम्हें?

कुछ तुम्हें दर्द कहेंगे कुछ कहेंगे मर्ज़ मेरा ।
अपनी खामोशी से ढके रखता हूं तुम्हें।

कुछ कहेंगे तुम्हें प्यार की पट्टी बंधी आंखों पर मेरे ।
कुछ कहेंगे मुझे कुछ कहेंगे बेवफ़ा तुम्हें।

खामोश हूं कि तुम सनम भी थीं और सितम भी ।
कुछ मजबूर कहेंगे कुछ कहेंगे दगाबाज़ तुम्हें ।

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9 MAR AT 10:59

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22 FEB AT 15:41

कुछ प्रेम कहानियां तस्वीरों ,
तोहफों, उत्सवों में नहीं दिखेंगी ।
कुछ प्रेम कहानियां
शर्मीली और अंतर्मुखी हैं ।

(पूरा पढ़ें अनुशीर्षक में)

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9 JAN AT 18:42

In order to live a sane life, you have to deal with a lot of Insanity.

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3 JAN AT 3:47

ख़ुद को बना और मिटा,
दोनों ही सकता था मैं ।
ये हक़ मगर मैं अपने महबूब को दे चुका था।

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23 DEC 2023 AT 11:11

बाप एक ही होता है ।
बाकी सब बाप बनना चाहते हैं ।

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15 DEC 2023 AT 11:16

मुझे सुन पाने को
अपने झूठ होंगे तुम्हें दोहराने,
फरेब तुम्हारे ,
जो रहे रकीब रिश्ते के हमारे ।
...
(पूरा पढ़ें अनुशीर्षक में)

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14 DEC 2023 AT 10:23

कुछ लिख देते हैं लफ्ज़ों को तो
कुछ जी लेते हैं शायरी ता उम्र ।
शायर सभी हैं यहां !

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27 NOV 2023 AT 21:05

मेरा ईमान काफी नहीं जिंदगी बिताने को ?
क्या ये साथ काफी नहीं था रिश्ते निभाने को ?

मैंने मांगे नहीं थे ये रिश्ते जो ढोने पड़ गए ।
यहां बेईमान काफी हैं मूरख बनाने को !

कच्चे थे मेरे सपने पर तोड़ते रहे तुम सब ।
कहां जाऊं मैं अपने ख़्वाब वापिस पाने को ?

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3 NOV 2023 AT 11:40

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