Parveen kumar   (Parveen©)
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Joined 23 April 2017


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19 MAR 2023 AT 0:41

काट लेता हूं
उसके इत्र की
खुशबू के संग।

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12 FEB 2023 AT 9:59

I am back at YourQuote almost after three years,
I scrolled through my feed and I seen my posts,
I am surprised and I can't believe that these were my thoughts
How much I changed in these years,

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8 APR 2020 AT 21:08

अगर जरा सा भी तुम
तुम्हे मना लेते हम,
पलट कर देखते कैसे
शायद बेवफा थे तुम
और खफ़ा थे हम।

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6 APR 2020 AT 23:06

ख़ामोशी से भरी
तन्हा काली रातों में।

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6 APR 2020 AT 22:48

थी जिंदगी उसकी;
जिसके शुरू के पन्ने
नहीं पढ़ पाया था मैं।

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6 APR 2020 AT 18:55

मुझे बर्बाद करने के लिए।

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6 APR 2020 AT 18:35

अगर हो तुम मुसाफ़िर,

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3 APR 2020 AT 18:08

जो मिली थी उससे,
यादें उसकी
जुड़ी थी जिनसे,
उन्हें ही ढूंढ रहा हूँ
कल से,
मिलेंगी जरूर
इसी उम्मीद से,
चिट्ठियां खो गयी थी जो।

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3 APR 2020 AT 16:23

जब तक तुम यहां थे
तो मेरा मन नहीं था यहां
तुम्हारे जाने के बाद
ढूंढता है ये तुम्हें।

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3 APR 2020 AT 16:16

सोना चाहता था मैं
मगर उस चाँद की
खूबसूरती ने भुला दिया।

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