21 JAN 2017 AT 9:10

मुहब्बत गर अल्फाजों की मोहताज होती
तो परिंदों के घर नहीं होते।
और एक तुम हो कि...
हर हर्फ के भी कई अर्थ निकाल लेते हो।
तो फ़क़त ये मसलसल खामोशी ही अच्छी

- Parul Sharma