मुहब्बत गर अल्फाजों की मोहताज होतीतो परिंदों के घर नहीं होते।और एक तुम हो कि...हर हर्फ के भी कई अर्थ निकाल लेते हो।तो फ़क़त ये मसलसल खामोशी ही अच्छी - Parul Sharma
मुहब्बत गर अल्फाजों की मोहताज होतीतो परिंदों के घर नहीं होते।और एक तुम हो कि...हर हर्फ के भी कई अर्थ निकाल लेते हो।तो फ़क़त ये मसलसल खामोशी ही अच्छी
- Parul Sharma