मैं गजल लिखता रहूँ,तुम गुनगुनाती रहो। मैं ख्वाब बुनता रहूँ, तुम आती रहो ।। न करो शिकवा हमारी जुदाई का रब से। बस मैं तुम्हें चाहता रहुँ,तुम मुझे चाहती रहो|| पारुल शर्मा - Parul Sharma
मैं गजल लिखता रहूँ,तुम गुनगुनाती रहो। मैं ख्वाब बुनता रहूँ, तुम आती रहो ।। न करो शिकवा हमारी जुदाई का रब से। बस मैं तुम्हें चाहता रहुँ,तुम मुझे चाहती रहो|| पारुल शर्मा
- Parul Sharma