21 JAN 2017 AT 9:17

मैं गजल लिखता रहूँ,तुम गुनगुनाती रहो।
मैं ख्वाब बुनता रहूँ, तुम आती रहो ।।
न करो शिकवा हमारी जुदाई का रब से।
बस मैं तुम्हें चाहता रहुँ,तुम मुझे चाहती रहो||
पारुल शर्मा

- Parul Sharma