बुझा सा है मन निष्प्राण हो गया जीवन उदासीनता का प्रादुर्भाव है क्या देखूँ मैं ऐसे में दर्पण उठे टीस जो रूह तड़पती है विरह यादों का है अनूठा संगम तैर रहे है कुम्हलाये प्रेम पत्र गिरते नहीं आँशू कहीं न बह जाये अक्षर स्वर्णिम बिखर के भी प्रेम सहेजा है तुम बिन अधूरे है मेरे हर क्षण तेरे नाम के आसरे साँसे चलती है तेरी तस्वीर में दिल का स्पंदन अँगुलिया लिखे बस तेरा ही नाम शब्दों की शदा पुकारे अब तो आ जाओ हमदम