में मानता हूं की में सुबह की बात शाम तक भूल जाता हूं। हां में भुलक्कड़ हूं। पर क्या तुम्हे पता है, तुमसे की हुई हर एक बात मुझे लफ्ज़ ब लफ्ज़ याद है।
में मानता हूं की मुझे तारीके याद नहीं रहती। हां में भुलक्कड़ हूं। पर क्या तुम्हे पता है, हमारी पहली मुलाकात से लेकर आखरी मुलाकात तक की हर एक तारीक मुझे याद है।
में मानता हूं की में भुलक्कड़ हूं। हां में भुलक्कड़ हूं। पर तुम तो मेरी जैसी नही हो फिर तुम्हे मेरा प्यार और हमारा रिश्ता क्यों याद नहीं?
आज फिर कुछ पुराने जख्मों को खुरेदने का मन कर रहा हैं। सफेद कागज़ पर लाल अक्छर उतारने का मन कर रहा हैं। में इतना काबील नही की नए रिश्ते बना सकूं। कोशिश सिर्फ इतनी रहेगी की कुछ बिखरते रिश्तों को बचा सकूं।
काश वो मेरी जिंदगी में बारिश की बूंदों की तरह आती जो धरती को छूते ही उसमें समा जाते हैं। ना की समुंद्र की लहरों की तरह, जो कुछ क्षण की खुशी देकर वापस लौट जाते हैं।
सपने सपने वह नहीं जो मैने बंद आंखों से आधी रात के अंधेरे में देखें थे। सपने तो वह है जो मैने खुली आंखों से दिन के उज्जाले में देखें थे। सपने वह नहीं जो मैने अकेले एक स्वार्थी मन से देखे थे। सपने तो वह है जो मैने तुम्हारे साथ हम दोनो के लिए देखे थे। सपने तो वह है जो मैने जीवन भर तुम्हारा साथ निभाने के देखे थे। सपने तो वह है जो मैने तुम्हारे हर पल को खुशियों से भरने के देखे थे। सपने तो वह है जो मैने तुम्हारे चेहरे पर सुंदर मुस्कान के देखे थे। सपने तो वह जो मैने बच्चो को हमारे प्रेम की दास्तां सुनाने के देखे थे। सपने तो वह है जो मैने तुम्हारे हर सपने को पूरे करने के देखे थे। सपने वह नहीं जो पूरे हो जाए। सपने तो वह है जो अधूरे रह कर भी पूरे होने का एहसास दिला जाए।
में तो बंजारा बन भटकता रहा, किसे पता था कि इश्क के बाज़ार पोहोच जाऊंगा। वहां अपनी रूह बेच कर भी उसके प्यार को ना पा सका, पर उसकी यादों के सहारे शोहरत जरूर कमाऊंगा।