** मन **
बावरा सा हैं यह मन,
दुनिया के सामने उसका नाम नहीं सुनने की इच्छा व्यक्त करता हैं और तनहाई में उसकी याद में डूबा रहना चाहता हैं |
दुनिया के सामने उसके अस्तित्व से मुकरता हैं और अकेले में उसी की तस्वीर खोजता हैं |
दिखाने के लिए उसी को टकराने से डरता हैं परंतु उसी की तलाश में भटकता हैं ,
अलबेला सा ही हैं ये मन |
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