NITIN RAWAT   (परिंदा🦅✍️)
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Joined 27 December 2016


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Joined 27 December 2016
9 MAY 2022 AT 11:52

होते हो तुम हिज्र में मुंतशिर क्यों भला ..?
रम्ज़ है , कफ़स ए ताज़ियत ये, जाते न जाए
जिसको भेजते हो तुम, ख़ुद दूर खुशी से;
दुआ पढ़ा करते,करते तस्बीह ;
या खुदा वो आ जाये बस वापिस आये !
मोहब्बत में थी तुम, पता चला नहीं तुम्हे, कहती खुदाया ये ,कैसा कोह ए अलम,
उसने दिलाया यकीं, माना मुझे मेहवर ;
रही मैं बरहम ओ उसको, देती रही हाय !
तुर्बत पर उसकी जाने का हक़ नही तुमको अब, की उसने आखिर ख़्वाहिश,
मैं रुख़सत हूँ जहाँ से जब भी, वो आ न जाए कभी,
बाब कब्रिस्ताने, खातिर उसके, बंद किये जायें ;
मुग़ालता है तुम्हे, जो सोचा करते, नफऱत कर ही गया वो तुमसे आखिर जाते -जाते,
वो थक चुका था पैहम, मसाफ़त ए हिज्र करते, करते अश्क़ रेज़ी,
पुख़्ता कर गया बस, तुम कर न पाओ दीदार उसका
कहीं ऐसा न हो वो बाद उसके, झट उठ जाए ;
परिंदा नहीं मिला तुम्हें,बस अब हिकायत ये है !
पढ़ गया आखिरी दुआ,तुम्हारा जो भी ' वो' हो, जब भी आये जहाँ से आये
तग़ाफ़ुल न कर सको तुम ,
तुम पर अस्बाब अब तुम्हारे, कोई कभी सितम न ढाया जाए।

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8 MAY 2022 AT 16:40

पाठशाला प्रथम शिशु की,
सिखलाती शिशु को ज्ञान,
रिश्ते नाते सभी बताती,
स्नेह सहित सम्मान !

(कैप्शन)

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12 APR 2022 AT 22:29

#गुफ़्तगू

एक नज़र बातूनी, एक बदन होशमंद
दो चाय के प्याले.., हो माकूल शाम और क्या !

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12 APR 2022 AT 0:40

लोगो को आती नहीं शर्म,
बेटा पढ़ाया ,बेटी को दबा दिया!
अठारह में करा देते शादी उसकी,
जब उसका मन है, वो घूमेगी वादियाँ !

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11 APR 2022 AT 12:48

'None' ,

There is no love without joy,
There is no joy without love .
So I choose in between...

'None'

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9 APR 2022 AT 23:46

when
You
EARN
everything,
except
'YOURSELF'

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8 APR 2022 AT 19:07

तमाम शायर, पढ़ें शेर, खूबसूरती पर उसकी !
फिरे, जताए परिंदा, हाए ! कितनी अक्लमंद वो है !

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8 APR 2022 AT 14:29

पुरूषों को दर्द नहीं होता या वो रो नहीं सकते,
इस बीज के प्रत्येक रोपणकर्ता पर
हाय है,उस
प्रत्येक आँसू की जो अंधेरे में, बारिशो में या
बहाये गए, अपारदर्शी चश्मे के भीतर -भीतर,
प्रत्येक दर्द की जो,
सबसे छिपाया गया, चेहरे पर स्थिर,
तठस्थ एवं कठोर भाव रख कर..
उस प्रत्येक कराह की जिसे महसूस करते हुए भी ध्यान इस ओर अधिक रहा कि
कभी कोई भांप न ले ...!
पर्वत भी टूटते है ,जब विस्फोटक का प्रयोग हो,
वृक्ष भी गिरते हैं जब वायु प्रचंड हो
सूर्य भी हार जाता है कभी घनघोर वर्षा के सम्मुख, और छोड़ देता है अपनी तीव्र तपन की ज़िद,
काली घटा के अधीन हो,
सागर का अस्तित्व ही होता है खारे आसुओं से भरा!
क्यों नही सिखाया जाता पुरूषों को मेघ होना,
कि स्वाभाविक ही है कभी रो देना,
खुलकर
और
बिना किसी शर्म के !


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7 APR 2022 AT 13:26

चयन करो क्या है आसां??
क्या बन पाओगे ऐसा ...?
(अनुशीर्षक में)

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25 JAN 2017 AT 22:56

एक अच्छा गीतकार हो या अच्छा लेखक
दोनों में एक चीज़ कॉमन है,
दोनों हिंसक होते है
एक गलाफाड़ होता है
तो दूसरा
कलमतोड़..!

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