तेरा प्यार मेरे लिए स्वर्ण सरीखा है
जिसे मैंने खुद पर गहनों सा सजाया है
लेकिन तू जो अब मुझे बांधनें लगा है
सच कहती हूं ये गहना मुझे चुभने लगा है
तेरा यूं काम करने से पहले मेरे हाथ रोक लेना
ऐसा प्यार मेरे हाथों में हथकड़ी सा लगता है
मेरे आगे बढ़ते कदमों को तू रोक देता है
तेरा ये प्यार मुझे पैरों की बेड़ियां लगता है
जब तू मुझे सर उठाकर जीने से मना कर देता है
तो सर पर तेरा ये प्यार कांटों का ताज लगता है
तूने अपने प्यार से मुझे सजाया है
फिर क्यों मुझे जंजीरों में जकड़ रहा है
तेरी बांहों में रहना चाहती हूं
लेकिन तू मुझे यूं कैद करले ऐसा प्यार नहीं चाहती हूं ।।
- [©M D Bhuradia "बाग़ी"]