21 JAN 2017 AT 10:50

नीला गहरा समंदर,
मीलों फैला आकाश,
तेरे ही किस्से कहता है,
इन दोनों के बीच तू रहता,
सर्द हवा सा बहता है,
पर्वतों की चोट सहता है,
अपने पथ पे अडिग रहता है।

- MayankTiwari मध्यमवर्गीय