नीला गहरा समंदर,मीलों फैला आकाश,तेरे ही किस्से कहता है,इन दोनों के बीच तू रहता,सर्द हवा सा बहता है,पर्वतों की चोट सहता है,अपने पथ पे अडिग रहता है। - MayankTiwari मध्यमवर्गीय
नीला गहरा समंदर,मीलों फैला आकाश,तेरे ही किस्से कहता है,इन दोनों के बीच तू रहता,सर्द हवा सा बहता है,पर्वतों की चोट सहता है,अपने पथ पे अडिग रहता है।
- MayankTiwari मध्यमवर्गीय