न बांधो मुझको
न कैद करो मुझको
मैं खुशबू हूँ
मैं रंगत हूँ
मैं अहसास हूँ
मैं दर्द हूँ
मैं ही दवा भी हूँ
मैं संगीत हूँ
मैं साज़ हूँ
मैं रोशनियों का पैरोकार
चांदनी में खिलता हूँ
बहारों में मुस्कुराता हूँ
खिज़ाओं में अश्क़ बहाता हूँ
ईर्ष्या के तारों में भी पलता हूँ
कभी शोला हूँ
कभी शबनम हूँ
मेरी तासीर तेरी ख़्वाहिश
गुलज़ार है हर शय मुझसे
मैं सृष्टि का आधार हूँ
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