Manish Rohit Garai  
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Joined 5 February 2017


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8 MAR 2021 AT 19:21

मैं जुगनू से हाथ मिलाया हूँ जब से
चाँद हमारा मुँह फुलाए बैठा है

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30 JAN 2021 AT 9:28

पढ़ना लिखना चूल्हा चौकी
उस लड़की को सब करना था

उसने इश्क़ अधूरा छोड़ा
उसको यार ग़ज़ब करना था

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22 JAN 2021 AT 9:44

......चँदा, सूरज, तारे, जुगनू सब है मेरे आंगन में

एक तुम्हारी कमी ने मुझको फिर भी तन्हा रक्खा है

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18 JAN 2021 AT 17:46

मैं तुमसे जीत जाता खुश न रहता
मेरा तब हार जाना लाज़मी है

तुम्हीं ने मुड़ के देखा था किसी दिन
मेरा सपना सजाना लाज़मी है

मैं तुमसे झूठ कह रहा हूँ लेकिन
यक़ीं तुमको दिलाना लाज़मी है

कि लब पे हिचकियाँ आकर रूकी है
तुम्हारा फ़ोन आना लाज़मी है

मुझे तुम याद करके रो पड़ोगे
तेरा मुझको भुलाना लाज़मी है

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12 JAN 2021 AT 10:40

मुझे तुम याद करने की हिमाक़त कर रहे हो फिर
कहीं फिर इश्क़ हो जाए तो ये ग़लती तुम्हारी है

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23 DEC 2020 AT 19:53

बच्चों की नादानी बनकर देखूँगा
मैं फितरत शैतानी बनकर देखूँगा

जब औरत का दर्द समझना चाहूँगा
तब पत्थर से पानी बनकर देखूँगा

सच्चाई को धोका देने की खातिर
झूठी एक कहानी बनकर देखूँगा

यार हमारी कद्र तभी ही जानेंगे
जब दुश्मन का सानी बनकर देखूँगा

आंखों में जो कांटा बनकर चुभता है
उन फूलों की जवानी बनकर देखूँगा

जाने कितने बोझ उठाए रक्खे हैं
बाबा की पेशानी बनकर देखूँगा

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12 DEC 2020 AT 22:45

फिर वो ग़लती अबकी बार नहीं होगा
छोड़ो जाओ मुझको प्यार नहीं होगा

अब ये मेरी बात कभी ना टालेगा
दिल मेरा फिर से गद्दार नहीं होगा

डूबने का गर डर ना हो तो कूदो तुम
सोच समझ कर दरिया पार नहीं होगा

मुझको दिल के बदले जिस्म नहीं लेना
मुझसे घाटे का व्यापार नहीं होगा

तुम पर ख़र्च हुआ ये उम्र, तजरबा है
बीता वक़्त कभी बेकार नहीं होगा

इस युग के रावण से निपटो, राम बनो
नारायण का अब अवतार नहीं होगा

मैंने अपनी मौत चुनी अपने हाथों
कोई इतना भी खुद्दार नहीं होगा

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7 DEC 2020 AT 12:03

जाने कितने ठोकर खाए बैठा हूँ
मैं किस्मत में आग लगाए बैठा हूँ

इक दिन मिलके सब कुछ तुमसे कहना है
मैं जो इतने राज छुपाए बैठा हूँ

मुड़ के पीछे उसने मुझको देखा जब
मैं तबसे उम्मीद लगाए बैठा हूँ

वो जो मुझको जान से ज़्यादा प्यारी थी
उस लड़की को आज भुलाए बैठा हूँ

मैं अपनी आंखों के खारे पानी से
सागर तक की प्यास बुझाए बैठा हूँ

सारे मुझको बच्चा मान के बैठे हैं
मैं कितनों की नींद उड़ाए बैठा हूं

खुद को मैंने इतना काबिल समझा है
अपना शव भी आप उठाए बैठा हूँ

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6 DEC 2020 AT 11:06

नहीं ज़ंजीर पैरों की मुझे पायल बना लो तुम
खुद अपने आप को सावन मुझे बादल बना लो तुम
तुम अपने होठ की मुस्कान मुझको ही बनाना जाँ
मुझे आंसू नहीं बनना मुझे काजल बना लो तुम

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14 SEP 2020 AT 18:09

मुश्किल है !!

Continue in Caption...

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