Rukhsat
अगर समझ पाती तुम हमारी चाहत,
तो इल्म होता तुम्हें, कि हमें मोहब्बत बहुत है।
ना जाने कितनी हैं इन मुलाकातों में राहत,
कमबख्त, बस, अभी समय का शोर बहुत है।
जब मिलेंगे हम, तो लगेंगे गले तुम्हारे,
फिर जब प्यार से कहोगी 'बस भी करो अब',
तो कहेंगे, कि अभी तो आरजू बहुत है,
बुराद्बारी, सब्र, तहम्मुल माना, कठिन है,
कमबख्त, बस, अभी हकीकत का जोर बहुत है।
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