तुलसी दुल्हन हैं बनी दुल्हा शालिग्राम तुलसी हरि की प्रियसी हरि स्वयं गुणग्राम तुलसी और कोई नहीं है लक्ष्मी अवतार विष्णु प्रिया सब शुभ करें हर घर हो सुखग्राम
सेवा हम ना कर सके किया न कुछ भी मान ग़लती सब बिसरना रखना सबका ध्यान जैसा हमसे बन पड़ा उतना किया मनुहार रुचि अनुरूप आपकी तैयार किया आहार चरणों में वंदन करें रखना कुल का ध्यान देवालयम मुस्काये सदा सुखी रहें संतान