Khushboo Chhabaria   (Dr. Khushboo chhabaria)
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Joined 21 December 2016


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15 JUN 2020 AT 22:32

आपकी संपन्नता
कभी आपको खुश
रहने की गारंटी नहीं दे सकती
इसलिए अपने और
अपनों की भावनाओं को समझें!
क्या पता उनके अंदर भी कोई सुशांत छुपा हो...

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15 JUN 2020 AT 21:10

आत्महत्या तो केवल ऑफिशियल डिक्लेरेशन है ...
मर तो यह कब से जाते हैं...
कभी मर जाते हैं ...
कभी मार दिए जाते हैं ...
कभी अपनों से ...
कभी अपने आप से ...

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8 OCT 2018 AT 11:04

रह गयी हूँ मैं ...

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24 SEP 2018 AT 14:23

एक अरसा हुआ तुझे रुकसत किये
ओ मेरे ख्वाबों के परिन्दे ...
कभी घरोंदे की राह तो कर ..

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14 SEP 2018 AT 18:00

अंत लिखूं अनंत लिखूं...
आज मैं समस्त लिखूं...
सत्य को निर्भीक लिखूं...
नारी को सम्मान लिखूं...
अंश लिखूं पूर्ण लिखूं...
ईश को विरक्त लिखूं...
चल लिखूं अचल लिखूं...
नर का अभिमान लिखूं...
अंत लिखूंं अनंत लिखूं...
आज में समस्त लिखूं...

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14 SEP 2018 AT 13:47

धुंँआं है...
शायद कोई जला है...
या फिर दिल का ज़लज़ला है...
तारीफ में यूं ढ़ला है...
पर साथ न कोई संग चला है...
हाँ इसलिये वो अकेला है...

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8 SEP 2018 AT 18:28

उन तालों की चाबियां नहीं होतीं,
जो अक्सर हम अपने लिये तैयार करते हैं....

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7 SEP 2018 AT 11:19

किसी को जलील न कर अपने अहम् में,
उपरवाला कटोरा बदलने में देर नहीं करता...

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6 SEP 2018 AT 17:25

जब जीवन का हर पन्ना धुंधला हो
तो श्यामली निशा संग कौनसा रंग फबे?
श्वेत या रक्त...
बोलो मन....

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9 JUL 2018 AT 12:10


दुनिया की क्या कहने जनाब ,
यहां तो सांसें भी मतलबी हैं ...
एक पल देके दो पल खींच लेती है ..
पलकों के कोने कब तक सिला करे
शुष्क धूप में आओ खुद को सुखा करें
ज़िन्दगी की गर ज़िद है डुबाने की
आओ फिर जी के इसे हरा करें...
....

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