कभी किसान को खाना खाते देखा है ??
वो चमकदार मेहेंगी प्लेट नहीं एल्युमीनियम की थाली में खाता है जिसकी चारदीवारी होती है ताकि अन्न का एक दाना भी गिर ना जाये
वो नक्काशीदार teak wood डाइनिंग टेबल पर नहीं ज़मीन पर पालती मारकर बैठता है ताकि खाते वक़्त उसके शरीर का स्पर्श उस ज़मीन से जुड़ा रहे जिसपे वो अनाज उपजा है
वो खाने में कमी नहीं निकालता बल्कि सबसे पहले हाथ जोड़ कर अन्नपूर्णा देवी की और कृतग्यता प्रकट करता है की उसकी थाली में भोजन है
वो छप्पन भोग से भोग नहीं लगाता ना बुफे में सैकड़ो डिशेस में चुन चुन के लेता छोड़ता है बल्कि अपनी थाली में मोती रोटी,हरी मिर्च , थोड़ा सा नून और प्याज जिसे वो मुट्ठी से फोड़ता है।
वो अन्न का एक दाना भी बर्बाद नहीं होने देता
वो चम्मच छुरी कांटे से नहीं बल्कि हाथो से दाल भात खूब मसलकर फिर बड़ी ऊँगली से थाली साफ़ कर उसको चाट चाट कर खाता है
रही सही कसर मिटाने के लिए वो उसी थाली में ही पानी दाल कर पी जाता है
अन्न की कदर और नमक हलाली तभी समझ आएगी जब कभी आप उनके बगल बैठकर इसी तरह खाना खाना सीख पाएंगे।
-