16 JAN 2017 AT 0:33

काग़ज़ के छोटे छोटे टुकड़ों पर तुमने मुझसे पहली दफ़ा अपनी मुहोब्बत का इज़हार किया था। अभी भी वो टुकड़े पास हैं मेरे। हर रात ज़मीन पर बिखेर के सोता हूँ, इस आस में कि उन्हें चूहे कुतर जायें।

पर लगता है कि उन कमबख़्त चूहों को भी तुमसे इश्क़ हो चुका है। मरेंगे साले।

- हर्ष स्नेहांशु