हालात बदलते रहते हैं,मौसम की तरह हम न बदले कभी।
इस रंग बदलती दुनिया में,मौजूद हैं सच की वफाएं अभी।
जो रोज हवा की दिशा में चलते,उन्हें वफादारों की कदर नहीं।
काम निकल जाए आंखे फेरते,बदलते मौसम के नुमाइंदे यही।
इन बेपेंदी के लौटो के बीच,हमने अपनी वफ़ा बना के रखी।
जो सच्चे हमदर्द हमारे,उन्हीं के संग यात्रा में खुशी लिखी।
आज कुछ और कल कुछ,ऐसे लोगों की विश्वसनीयता नहीं।
हर कदम हर मुश्किल में जो साथ दे,असली खुशी मिलती वहीं।
गुरमीत
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आतंक के व्यापारी
डाका डाल के डाकू बोले,सुबूत दिखाओ सुबूत दिखाओ।
मैं गरीब भोला भाला सा,मुझ पर मत आरोप लगाओ।
बड़ा विचित्र मंजर है यारों,व्यापारी कहें हां में हां मिलाओ।
हमारे हथियार तभी बिकेंगे,जब तुम आतंक नर्सरी महकाओ।
हथियार बेचें मानवता भी बेचें,अरे तिजारत से तो बाज आओ।
कल तुम्हारी भी बारी आएगी,इस सत्य को भूल न जाओ।
असुर किसी के सगे नहीं,व्यापार के लोभ में उन्हें न बढ़ाओ।
क्षणिक अहम व लाभ के लिए,दूसरे मुल्कों को तो न डुबाओ।
जो सर्प पाल लिया है तुमने,इसके विष से मानवता बचाओ।
सुनो हथियार बेचने वालो,आतंक के उद्योग को मिटाओ।
विस्तार करना राक्षसों की प्रवृति,उनसे भले की उम्मीद भुलाओ।
देवताओं को खुद कमान लेनी होगी,गर असुरों से मुक्ति चाहो।
मत प्रतीक्षा करो अवतार की,खुद ही प्रतिरक्षा प्रणाली बनाओ।
जड़ मूल से नष्ट कर दो असुर ऊर्जा,मानवता को तुम्हीं बचाओ।
गुरमीत
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ज्ञान प्राप्त करना है
सफर सुगम सरल बनाना है तो,ज्ञान प्राप्त करना है।
अज्ञान अंधकार में यात्रा भटकती,अन्तस रोशन करना है।
हर कदम पर नया अनुभव,जीवन ऐसे ही चलना है।
जिंदगी एक अमूल्य रत्न है,इसे ज्ञान से ही निखरना है।
ज्ञान का सदुपयोग होगा,तभी सफर आनंद से भरना है।
बुद्धि तो ज्ञान अर्जन में सहायक,प्रज्ञा से ही दिशा मिलना है।
विवेक की रोशनी सही राह दिखाए,
ज्ञान तभी संवरना है।
प्रेम सुकून से हृदय भर जाएगा,
ज्ञान व प्रज्ञा के संग चलना है।
गुरमीत
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वो गुलशन मुरझा जाता,जहां सब अपनी मर्जी के मालिक।
अपनी मर्जी को आजादी समझते,हर कर्म उनका स्वैच्छिक।
सामाजिक नियम नहीं मानते,वृतियां उनकी होती तामसिक।
ऐसे लोग अनुशासन तोड़ते,आजादी यही उनके मुताबिक।
मनमर्जी से ही फिज़ा बिगड़ती,समाज के लिए होती घातक।
सबकी सोच का सम्मान करें,मिल जुलना ही होता सार्थक।
अपनी मर्जी लादें नहीं दूसरों पर,सफर तभी खुशी का वाहक।
जो मर्जी सबका हित करें,वही इच्छा अच्छे सफर की शासक।
गुरमीत
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राक्षस सदा ही हारे हैं,इस सत्य का समय साक्षी है।
असुर शक्तियों का विनाश,आस्तित्व भी अभिलाषी है।
दुष्टता कभी सफल नहीं हुई,मानवता ने जीत पाई है।
समय ने सारे मंजर देखे,बुराई ने हर वक्त मात खाई है।
अच्छाई के साथ खड़े वो जीते,ये समय की बलिहारी है।
भीषण तूफान अनेक मुश्किलें,मानवता कभी नहीं हारी है।
गुरमीत-
ख्वाब मुकम्मल करने हैं तो,जो करना ध्यान से करना।
बिना विचारे न दौड़ो,योजना बना कर ही आगे बढ़ना।
मंजिल को गर पाना चाहो,चलने को सही राह ही चुनना।
राहों में अनचाहे कांटे मिलेंगे,उनसे तुम कभी न डरना।
हर कदम ध्यान से बढ़ाना,लगातार खुद भी निखरना।
लापरवाही यात्रा भटका देती,अनुशासन से ही चलना।
सरल सहज कदमों के साथ,
मन को केंद्रित कर के रखना।
ख्वाब जरूर पूरे होंगे,
बस ध्यान खुशी हिम्मत से संवरना।
गुरमीत-
नफरत का कप खाली करो,खाली कप में खुशियां भर लो।
जाने अनजाने कचरा भर लिया,इनको अब खाली कर दो।
चारों तरफ से ज्ञान बरस रहा,सही गलत को जरूर समझो।
जिंदगी नीरस हो जाती,मन जब गलत भावना से भरा हो।
क्या भर रखा है मन में हमने,अंतस से नित्य मुलाकात करो।
खाली कर लो कचरा कप का,खाली करके प्रेम सुकून भरो।
Gurmeet
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जैसा चुनाव वैसा भाग्य,कितना सही है यह वाक्य ??
सही राहों पर कांटे ज्यादा,तब साथ क्यों नहीं देता भाग्य।
कर्म अपने सही करो,भाग्य तो रब के उपहार का साक्ष्य।
प्रारब्ध स्वीकारो कर्म न छोड़ो,बना के रखो दोनों में साम्य।
जिंदगी तो सुख दुख का मंजर,भाग्य भरोसे रहो न आर्य।
भाग्य की गति जाने न कोई,पराक्रमी को भी मिलता दुर्भाग्य।
तुलना न करो किसी से अपनी,सबका अपना अपना भाग्य।
आनंद मंजिल की सही राह चुनो,रब की कृपा से मिले सौभाग्य।
गुरमीत
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तुम्हारे संग मैं चल देता,तुम एक इशारा कर देते।
मदद की दरकार है तुम्हें,क्या कष्ट हैं मुझसे कहते।
सोचो दिल पर क्या गुजरती,अपने जब ऐसा कह देते।
ऐसे लोग रूखे और स्वार्थी,अपने गुलशन नहीं समझते।
इशारों का इंतजार न करें,समझो कष्ट जो नयन बोलते।
हर दुख सुख कहा नहीं जाता,समझदार साथ नहीं छोड़ते
इशारों की कब जरूरत है,माली तो पौधे का दर्द पढ़ लेते।
माली जैसा ही समभाव चाहिए,गुलशन अपने तभी संवरते।
Gurmeet
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जब तक नादानी बनी रही,खुशहाल थी दुनिया हमारी।
दुनियादारी से दूर रहे तो,जिंदगी लगती थी बड़ी प्यारी।
जैसे जैसे जिम्मेदारी बढ़ी,गायब हुई नादानियां सारी।
ज्ञान बढ़ा चतुराई सीखी,परेशान हो गई रूह बेचारी।
अब हर कदम शतरंज मिले,भूल गए नादान किलकारी।
कांटों से लड़ते लड़ते,छलनी मन में छा गई बेकरारी।
दिल संत सा कर्म सैनिक सा,खुशियों की आएगी बारी।
सुकून प्रेम साहस से चलो,खुशहाल रहेगी यात्रा हमारी।
Gurmeet
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