Geeta Bharati Kumar   (Gee's)
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Joined 8 January 2017


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Joined 8 January 2017
8 MAR AT 12:07

ज़िद्द
नारी
क्यों इतनी ज़िद्दी बन गई है
अपनी हदों को लांघ कर
अपनी मर्यादा को फांद कर
बस आगे बढ़ रही है
क्यों इतनी ज़िद्द कर रही है

चूल्हा चौका त्याग कर
लक्ष्मण रेखा को पार कर
सपनों की डोरी थम कर
ऊंची उड़ान भर रही है
जाने क्यों ज़िद्द पर अड़ी है

परंपराओं को तोड़ कर
चार दिवारी को छोड़ कर
हिम्मत के कवच को ओढ़ कर
अपने अस्तित्व की जंग लड़ रही है
हां नारी ज़िद्द पर अड़ी है।

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7 JAN AT 12:58

नए रास्ते पर चल कर
गुज़रे वक्त को नहीं पा सकते
गुज़रे वक्त में रह कर
कुछ नया नहीं कर दिखा सकते

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2 JAN AT 8:35

Start your day with the gratitude that you are alive
Settle all accounts as you may not be the next day

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31 DEC 2023 AT 17:15















रिश्तों के झूठे किरदारों से परे
भीतर के नायक को पहचानते हैं
पर्दा गिर जाने से पहले
खुद की भूमिका निभाते हैं
अपने अंदर के बुद्घ से
खुद को ज्ञान दिलवाते हैं





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28 DEC 2023 AT 13:30

मम्मी आपकी कतरनें

मेरे व्यक्तिव का अहम हिस्सा हैं मम्मी की कतरनें
गठरियों में भरी, स्टोर के भीतर
एक खज़ाने सी लगती थीं
कितनी रंग बिरंगी, फूल, तितली, रंगोली की तरह
भर देती थी रंग मेरी इमैजिनेशन में

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19 DEC 2023 AT 17:17

मिलने और बिछड़ने के बीच
कई युग बीत जाते हैं
कई बार मरना पड़ता है
कई बार मारना पड़ता है
अपने प्यार को, सम्मान को
ख़ुशी को, अभिमान को
फिर भी वो रिश्ता मर नहीं पाता
बस रिसता रहता है एक नासूर सा
और चुभता रहता है एक शूल सा

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9 JUL 2023 AT 11:22

The day we all stop pretending
Society goes haywire

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7 JUL 2023 AT 18:29

रोते हुए किसी को अच्छे नहीं लगते
हंसते हैं तो लोग जलते हैं

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5 JUL 2023 AT 22:24

काश
काश एक बार फिर वही
जुनून और दीवानगी हो
रगों में खून नहीं
मोहब्बत की रवानगी हो

नशा हो बिन पिये
थिरकते हो पांव भी
महबूब के खयाल भर से
महकती हो सांस भी

कुछ ख्वाब हो नामुमकिन से
और पूरा करने की जिद भी हो
भरा हो जोश हर अंग में
और संवरने की फिक्र न हो
काश
एक बार फिर वही !


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4 JUL 2023 AT 16:51

Romance is an art
that can be learned with practice

DON'T CONFUSE IT WITH LOVE

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