गणेश कुमार सिंह दुलारा   (Dulara)
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Joined 9 April 2017


Joined 9 April 2017

केवल मांगना और पाने की इच्छा तो भिखारी का स्वभाव होता है। मनुष्यता में त्याग भी करना होता है।

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झूठे वादों और नुमाइशी शान के शिकार लोग
मोहब्बत की जिद्द-ओ-जहद को नही समझते।।

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अजनबी है सड़क, मंजिल सटीक है
सफलता का धैर्य, बांधे पथिक है।

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गर पहुंचना आसान हो
तो वो मंजिल नहीं है।

जहां दिखें अपने और
अंतरमन सम्मान हो
वो गांव है शहर नहीं है।।

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तुम मिलो ना मिलो
हम मिलेंगे
इन गांव के खेतों में भी
उन शहर की गलियों में भी।

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दिल जब टूटने लगता है तो
शब्दों के अंगार बरसते हैं।

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उनके इंतजार में मत रहा करो,
वो श्रृंगार किसी और के लिए करते हैं।

बेवजह वक्त बर्बाद मत किया करो,
वो मुलाकात किसी और से करते है।

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मैं खोया किताब में रह गया
आया काफ़िर गुलाब ले गया।

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लिखना तुम, लिखते रहना
हर एक क्षण, हर पल को लिखना
रुकना नहीं, बढ़ते रहना
हर पल, हरदम चलते रहना।।

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आपसे यह वादा है मेरा
हर हाल में निभाएंगे
आप मेरी दोस्त रहो या रहो दिलरुबा
पर कभी आपको दुखी देखना ना चाहेंगे।।

शेर ए दिल आशिक़ है हम
आपके खुशी के खातिर
कहो तो नजदीकियां या दूरियां भी बना लेंगे
पर कभी आपको दुखी देखना ना चाहेंगे।।

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