तू किसी रैल सी गुज़रती है,
मैं किसी पुल सा थरथराता हूं,
तू चाहे मुझे ना देखती हो,
मैं हर पल तुझे निहारता हूं,
तू बारिश की बूंदों में बरसती है,
में तुझे मिट्टी की खुशबु से पहचान जाता हूँ,
तू किसी तारे की तरह टीम टीमाती है,
में तुझे चांद की रोशनी में ढूँढता हूं,
तुझे में किसी खामोश सर्द रात में,
अपने ख्यालो में बुनता चला जाता हूँ,
तू किसी रैल सी गुज़रती है,
में किसी पुल सा थरथराता हूं...
-