है बेवफा जो सारे बीमार पड़ेंगे,
शिद्दत ना हो जिसमे वो हार जायेंगे,
जब तक तेरे जहेन से मेरा ख्याल ना निकला,
तू तो ठीक मेरे हर खुशियों के बहार जायेंगे,
सूरज अब तक नहीं निकला है मेरे ख्वाबों का,
फिरदौस में घेरे बादलों में चांद नही निकलेंगे,
ये लगता है सब अच्छा बहार बहार से हा,
जैसा सोचा वैसे ख्वाब हकीकत में नही मिलेंगे,
तन्हाई को मार डाला अक्सर ये मुहोब्बत ने,
जिनको आबाद होना है सारे संभल जाएंगे,
रेत तो उड़ती नही समंदर के किनारे,
ये लोग है मौका मिलते ही बदल जायेंगे,
वाजिब है दिल की बाते दिल में ही रखेंगे,
पर बिखर कर पूरा किधर जाएंगे,
खाली हाथ लौटता हु में हर सफ़र के बाद,
मुसाफिर को तलाश नही अकेले में रास्ते कैसे गुजरेंगे।
-