29 APR 2017 AT 14:29

हर ख्वाहिशो को जैसे अपना एक मुकाम मिल गया,
बरसों से तड़पते हुए इन लबों को, तेरे लबों का बहाना मिल गया,
दुआ तो मांगी थी बस तुझे जी भर के देखने की,
जाने क्या रेहमत हुई खुदा की, हमें तेरी बाँहों का सहारा मिल गया

© तरपल

- तरपल