सुनो ..
बहुत कुछ कहना हैं तुमसे
पर क्या
तुम इतमिनां से सुन पाओगे . ??
सोचा आज बता ही देती हूँ
अपने ज़ेहन की कशमकश
अपने दिमाग का फितूर
पर क्या वो उलझन
तुम महसूस कर पाओगे ??
सिर्फ किस्से नहीं पूरी कहानी बयां करेंगे
पर उसके बाद
क्या मेरा दर्द तुम बांट पाओगे ??
आँसू जो छिपा रखे हैं मैने
बह गए अगर,
तो क्या वो समन्दर तुम रोक पाओगे ??
माना झूठी ही सही एक उम्मीद मगर लगा रखी हैं ,
कि तुम पास नहीं तो क्या
पर साथ ज़रूर निभाओगे
अब बताओ..
कहीं वो उम्मीद भी तो मेरी
तोड़ नहीं जाओगे ???
-