इन आंखों को, तेरे सपने देखने का, हक़ नहीं
तेरी मुस्कानों पे निसार, लबों से मुस्कान बही
इन आंखों को, तेरे सपने देखने का, हक़ नहीं
तेरे इश्क में खाना सीख लिया मैने दूध और दही
इन आंखों को, तेरे सपने देखने का, हक़ नहीं
तेरी आंखों में घुम जाती, मेरी निगाहें भी कहीं
इन आंखों को, तेरे सपने देखने का, हक़ नहीं
जाने कितनी काग़ज़ की कश्तियां उम्मीद में ढही
इन आंखों को, तेरे सपने देखने का, हक़ नहीं
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