Bhavneet Kaur   (Bhivi)
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Live to write...write to express... Express to serve...serve to love... Love till eternity
Joined 1 January 2017


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20 MAY 2021 AT 20:41

"कोई राज़ छुपा होता है,
हर शब्द के पीछे कोई जज़्बात छुपा होता है,
यू , तो हम सब बयाह नही कर सकते,
क्योंकि,
मानो , हर चेहरे के पीछे कोई अंदाज़ छुपा होता है। "

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4 MAY 2020 AT 23:02

तोह कोई गम नहीं
मगर
मगर मंज़िल पे तुम ना मिले
तोह
फिर मोहब्बत नहीं।

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4 MAY 2020 AT 22:58

You May not find me and then is when
'I may Find The Real Me'...

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8 APR 2020 AT 20:44

जो कल बोलने पर भी समझ ना पाते थे चार दीवारों में कैद उस मां की आवाज़....
आज घर में वक़्त काटना उनका मुश्किल सा हो रहा है.....
जो दुनिया घूमकर घर आते थे समय देखकर अक्सर केह दिया करते थे, समय कहा ही निकल गया आज पता ही नहीं चला.... वह आज घर में बंद बस घड़ी देखकर एक ही बात दोहराते हैं...

समय रुक सा गया है ....

मां की आवाज़ और चुप्पी अब दोनों ही सुनाई देती है उनको....

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5 APR 2020 AT 14:16

अक्सर गाढ़ी वहीं क्यों रुकती है जहां उतर नहीं सकते
और सफर इतना लंबा हो जाता है कभी की फिर हम मंज़िल भूल जाते हैं।

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5 APR 2020 AT 12:36

So,
I look back to you in your eyes
and always find yours deep into mine.

The way you look at me
Is the way I feel "The Complete Me".

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3 APR 2020 AT 0:34

मान लो तो मददगार और ना मानो तो घमंड,
यदि कर दी तो सही और ना करके भी कोई ज़ुल्म नहीं।
सोच लो हमदर्द यदि ना सोचो तो फर्क नहीं,
फ़िक्र थी, इंसानियत थी तो दिया हाथ बढ़ा
ना किया तो क्या किया,
रख बेचकर तू आया इंसान की यह फितरत सभी,
दिखला दिया तू खोखला ना तू सही ना ज़मीर तेरा।

रख बेचकर तू आया इंसान की यह फितरत सभी,
दिखला दिया तू खोखला ना तू सही ना ज़मीर तेरा।

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29 MAR 2020 AT 3:37

बसेरा है जिनको,
घुट रहा जी उनका घर में अपनों के साथ
पूछ कोई उनको को भी,
जिनपर ना छत ना मां बाप,
तुमको खाने को है खाना,
है अपनों का भी साथ,
शाम की चाय की मिठास साथ ही किस्सों की वोह सौगात।

पूछ कोई उनसे भी ना अपना कोई और ना ही कोई जज़्बात,
बस कहा किनारे पर ही रहना,
रख ज़िन्दगी को अपने तू पास,
अगर नहीं बन जाने देना चाहता मौत को भी अपनी तू एक वारदात।

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27 MAR 2020 AT 3:05

हम तो जज़्बात लिखते थे लोगो ने लेखक करार दिया..।
अब कौन जाने कि कलम में शयाही भरी है या दिल में वज़न ज़्यादा....?

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27 MAR 2020 AT 2:48

गहरा था वोह दर्द जो छोड़ गया या ज़ख्म वोह जो नया फिर मिल गया?

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