छोड़ चली गयी तू.....
मैंने जाना नहीं,
कभी सोचा नहीं
ये कैसे हो गया।
तनहा था कभी
जिंदगी मिल गयी
जबसे तुझमें खो गया।
जिंदगी में जीना सिखा के छोड़ चली गयी तू,
खुशनुमा मुसाफिर को फिर किनारे मोड़ चली गयी तू।
हमने देखा कही,
वो ना चमकता नूर था।
जिसकी तरफ खिंचे बिन सोचे,
वो तो झूठा घूरूर था।
जो बांधे ते धागे प्यार के सब तोड़ चली गयी तू,
बंजर सी लगी ये दुनिया जब से छोड़ चली गयी तू।
सब कुछ भूल गया,
इस पार आके।
मैंने तुझे प्यार किया,
उस पार जाके।
घायल दिल को बहला के छोड़ चली गयी तू,
खुशनुमा मुसाफिर को फिर किनारे मोड़ चली गयी तू।
मैंने जाना नहीं,
कभी सोचा नहीं।
ये कैसे हो गया...
Written by Bala Surywanshi
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