Baabusha Kohli   (बाबुषा)
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तुम सिकन्दर तीन दिन के
हम कलन्दर ज़िन्दगी के

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Joined 10 December 2016


तुम सिकन्दर तीन दिन के
हम कलन्दर ज़िन्दगी के

💖
Joined 10 December 2016
29 DEC 2020 AT 9:01

भक्त एक कोमल शब्द है,
अयोग्य के लिए इसका प्रयोग करना-
क्रूरता है।

क्रांति एक विराट शब्द है,
इसे महज़ बाह्य ढाँचे का बदलाव समझना-
संकीर्णता है।

प्रेम एक संकोची शब्द है,
भक्ति व क्रांति संभव कर लेता एक साथ
अकेले दम पैदा करता साहस, आस और विश्वास
कहता कुछ नहीं-

यह प्रेम की विनम्रता है।

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19 JUN 2020 AT 19:30

नृत्य इस तरह किया जाना चाहिए कि जैसे कोई न देख रहा हो। गीत इस तरह गुनगुनाना चाहिए कि जैसे कोई न सुन रहा हो। फ़िल्में इस तरह देखी जानी चाहिए कि जैसे हॉल में तुम अकेले बैठे हो। कविता इस तरह लिखी जानी चाहिए कि इसे पढ़ने वाले केवल तुम हो। सोना इस तरह चाहिए कि जैसे ये संसार में अंतिम नींद हो। जागना इस तरह चाहिए जैसे यह दुनिया में पहली सुबह हो।

प्रेम इस तरह करना चाहिए जैसे यह पहला प्रेम हो। प्रेम इस तरह होना चाहिए कि बस ! यही अंतिम प्रेम हो।

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22 MAR 2020 AT 17:24

आपदा का यह समय बीत जाने के बाद यदि हम बचे रह जाएँ, और हम एक बदले हुए मनुष्य न हों तो मरना बेहतर है।

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4 DEC 2019 AT 18:05

धन नहीं,
दया का भाव नहीं;
कविता-कहानी नहीं-
दुःख मनुष्य को उदार बना देता है।

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12 AUG 2019 AT 13:46

नसों से ख़ून खींचने वाले पैथो-भैया कहते हैं,
"आपकी नस ही नहीं मिलती !"

क्या कहा जाए ?

ज़िन्दगी की किताब में जगह-जगह नसों को,
रख छोड़ा है मैंने बुकमार्क बनाकर।

जो पढ़ा जा सके उन पन्नों को
बिन सुई चुभोए भी,
जाँच मुक़म्मल हो सकती है।

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22 JUL 2019 AT 22:47

चंदा तारे
मौज मल्हारें
नदियाँ सागर
जिसके चाकर
जिसकी ख़ातिर
बुल्लेशाह की
तक़रीरें तक
घूमीं दर दर
बाहिर अंदर
सत् शिव सुंदर

ध्यान मदारी
सौ मन बन्दर
बिना डुगडुगी
नाच उठे जो

कहलाएगा
मस्त कलन्दर

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16 JUN 2019 AT 16:29

क्या बोले ?
तुमने मेरे आँसू पोछे हैं ?
मगर तुम्हारी शर्ट में कोई दाग़ नहीं है !

बन जाऊँ मैं,
अग्निशमन का दस्ता पल में-
मगर तुम्हारे दिल में ही कुछ आग नहीं है

बेहिसाब का,
क्या हिसाब रखना है बाबू ?
सीए का यह जोड़-घटाना-भाग नहीं है !

हर दिन तुम
गुड मॉर्निंग ! मुझसे कह देते हो,
उठ जाना भर नींद से कोई जाग नहीं है।

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12 JUN 2019 AT 22:03

रास्ते..
या नक़्शे से नहीं,
प्यास से पानी का पता मिलता है।

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10 MAY 2019 AT 8:12

अपने मुख से उच्चारती हैं जब भी
तुम्हारा नाम अन्य
स्त्रियाँ;

डाह से मैं राख़ हो जाती हूँ

ऐसी पवित्र भस्म
जिसे अपने मस्तक पर धारण कर
आज्ञा-चक्र पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं तपस्वी

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21 APR 2019 AT 6:29

आसमान में जितने सितारे हैं,
उतना तुम्हारा प्रेम;
मेरे लिए।

सितारों के बीच जितनी छूटी जगह है,
उतना मेरा प्रेम;
तुम्हारे लिए।

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