Ayman Jamal   (J)
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chale-chalo ki vo manzil abhi nahi'n aa.i (~Faiz)
Joined 10 November 2016


chale-chalo ki vo manzil abhi nahi'n aa.i (~Faiz)
Joined 10 November 2016
27 SEP 2023 AT 17:30

मिलते रहें हैं लोग फसानों की तरह
बहुत करीबी, फिर बेगानों की तरह

उम्र भर का वादा क्यों लिया करें
लम्हाती आलम में रहो बंजारों की तरह

हमने चांद से भी तो बैर कर रखा है
क्यों उसमे तुम दिखो गद्दारों की तरह

वही इश्क का ज़हर दवा कह कर जिसे
ठगा ख़ैर-ख़्वाहों ने दगाबाज़ों की तरह

डूब मरने को दो आंखें बहुत हैं "जमाल"
समंदर,नदी, नहर ना ढूंढ तू दीवानों की तरह।

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20 SEP 2023 AT 8:50

जब मौत आयेगी,
तो क्या तेरी याद भी आयेगी?
जो आई तो ठीक
और जो ना आई
तो कितने सितम उठाएंगे
बस फिर मर ही जायेंगे!

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11 SEP 2023 AT 14:16

फरेबों में तप के निखरी है
कई आंधियों से गुज़री है
हादसों की मारी हुई
वहशातों में डूबी है
तोहमते हैं ज़ेवर और
बे-यकीं में सिमटी है
कहो फिर भी "जॉन" तुम!
हुस्न इतनी बड़ी दलील नही?

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21 AUG 2023 AT 19:17

रोज मनाओ, रोज रूठ जाता है
जो आईने में है, शक्स दिल फरेब है।

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31 JUL 2023 AT 3:41

उसे अपने वजूद का इल्म ही नहीं
अपना हासिल किसी और से मांगता है
पुर - शोर एक दरिया की तड़प देखिए
उजड़े सेहरा से पानी मांगता है।

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27 JUL 2023 AT 11:14

कई आंधियां आईं
और आ कर चली गईं
बहुत कुछ
जड़ से उखड़ गया
पर एक दरख़्त
वहीं खड़ा रहा
खुद पे इतराता
के आंधियों से हारा नही
पर अब के तन्हा
करे भी तो क्या
जो अब तक करता रहा,
बस आंधियों से लड़ता रहा
खुद गुज़र रहा है अब
वक्त सा गुज़रता हुआ
आस लगाए
उम्मीद जगाए
एक और
आंधी के इंतजार में।

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18 MAY 2023 AT 11:22

हमारे दरमियान बोलती चुप्पी, गूंजती ख़ामोशी
उन्स फासलों में, हाय! किस कदर की दिलकशी।

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3 MAR 2022 AT 3:05

तेरा नाम लिख कर मिटाते रहें रात भर
तेरी याद में दुनिया भुलाते रहें रात भर।

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20 FEB 2022 AT 1:50

रात को हमराज़, दिन को गद्दार लिखा
तेरे बगैर जो शाम आई उसे, बेकार लिखा।

जब दर्द के सेहरा से गुज़र कर ठहरे
तब दर्द की रंगत को, गुलज़ार लिखा।

लहू मज़लूमो का हर तरफ बहता रहा
इंकलाब को मुंसिफों ने, इंतजार लिखा।

रो पड़े सब कहनी थी ऐसी दास्तान
आईना देख कर फिर हमने, बेज़ार लिखा।

कौन अब इस शहर से वासता रखें ‘जमाल‘
कत्लगाहों को यहां सब ने , बाज़ार लिखा।

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6 AUG 2019 AT 1:46

ज़रूरी नही सबक हर चीज़ का सीधा सीधा मिले
थकना किसे कहते हैं, ये बैठे बैठे महसूस हुआ ।

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