गुलाब भी बेरंग हो गया शर्मा करदेखी जो रंगत लब-ए-दिलदार की।। - ख़ाक
गुलाब भी बेरंग हो गया शर्मा करदेखी जो रंगत लब-ए-दिलदार की।।
- ख़ाक