21 MAR 2017 AT 1:56

ओस
पत्तों पर ठहरी ओस की बूँदें
नाजुक हल्की सी हवा से थरथराती
सूरज की पहली किरण में झिलमिलाती
नज़र पड़ते ही अन्तस को छू दें
तरल आकृति,
छोटे बच्चे के मन सी सरल
पत्ते के धरातल पर,
पाँव में बँधे घुंघरू सी चंचल
नाचती थिरकती पल पल
धोकर सुबह के चेहरे को
जीवन की हलचल में
हो जाती ओझल.

अपर्णा थपलि़याल"रानू "

- अपर्णा थपलियाल"रानू'