20 APR 2017 AT 17:36

मूर्खों का शान से दस्ता खड़ा है,
यहाँ पर हर कोई एक दूजे से बड़ा है ,
परिंदा मर भी जाये खुद से कोई,
लोग कहते है कि उस पर तीर तो मेरा ही पड़ा है।
बूढ़े बाप का कोई यहां मालिक नहीं ,
जो भूमि उसकी भी नहीं, लेने को खड़ा है,
बोतलों में बंद है इंसानियत अब,
मगर हर आदमी इज्जत बचाने को अड़ा है,
जी करके देखो जिंदगी तुम भी गरीबों की,
वहां पैसा नहीं साहेब, अभी इंसान बड़ा है
जिस दिन खुदा खा जाएगा जो भी चढ़ाया है,
उसी दिन से चढ़ावा बन्द, क्योकि पैसा बड़ा है।

- अनुभव