27 APR 2017 AT 18:55

मेरी प्यारी मम्मी,

तुमने आजतक मुझे कुछ नहीं कहा चाहे वो कुछ भी मसला रहा हो। कभी कुछ करने से मना नहीं किया पर हमेशा एक बात सिखाई कि बड़ों को बताया नहीं जाता उनसे पूछा जाता है, शायद उसी का असर रहा कि मैंने हमेशा तुमसे पूछकर काम किये। जब कभी रोने का मन करे तब मैं खुद को रोक लेता हूं तुम मुझे अक्सर कठोर कहती हो, पर मम्मी मैं इसलिए नहीं रोता की कहीं तुम न रो दो। तुम किसी पौधे में दिया जाने वाला वो पानी हो जिसके बिना वो पौधा सूख जाता है। जब मुझे कहीं सराहा जाता है तो वो मेरी नहीं तुम्हारी सराहना होती है क्योंकि तुम न होती तो मैं आज क्या होता। कभी कभी सोचने बैठता हूं तो लगता है कि मैं तो बस गेंहू था ,तुमने मुझे पीसकर आटा बनाया और फिर उसे गूंथा और अब एक गोल सी रोटी बना दी है । तुम जब नहीं होती हो न तब मैं अपने लिए खाना बनाता हूँ तो लगता है कि तुम कितनी अव्वल दर्जे की कलाकार हो , मैं चार बार उठा उठाकर रोटी को बेलता हूँ फिर भी वो गोल नहीं होती और तुम बस एक ही बार में गोल रोटी बना देती हो। कौन कहता है कि तुम आर्टिस्ट नहीं तुमसे अच्छा स्वेटर कौन बुन पाता है , तुमसे अच्छी रंगोली कौन बना पाता है ?कौन कहता है कि तुम सेफ नहीं तुमसे अच्छा खाना कौन बना पाता है ?
(Rest in caption)

- अनुभव