26 APR 2017 AT 22:58

शजरों के लाख मनाही के बाद भी
ख़िज़ाँ आई और काट के ले गई पत्ते शाखों से
वो चाहता तो अपनी अंगड़ाई में समेट लेता पत्ते
अफ़सोस, उसे अपनी काबिलियत का इल्म कहाँ था

- अंश