जवानी ढल रही है बुढ़ापे की चिंता में,इसका खुद कोई ठिकाना नहीं जबकि। - अंकुश तिवारी
जवानी ढल रही है बुढ़ापे की चिंता में,इसका खुद कोई ठिकाना नहीं जबकि।
- अंकुश तिवारी