आज दरवाजे से गुजरने वाली हवा की महक नशीली थी,शायद खत भेजा था मेरे महबूब ने इसमें घोल कर। - अंकुश तिवारी
आज दरवाजे से गुजरने वाली हवा की महक नशीली थी,शायद खत भेजा था मेरे महबूब ने इसमें घोल कर।
- अंकुश तिवारी