Ankit Sharma   (अंकुश)
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Joined 7 May 2017


Joined 7 May 2017
9 OCT 2021 AT 1:04

उसकी हँसी,उसका चेहरा,
उसके आँखों का वो घेरा
था पसंद मुझकों,
और वो पसंद बरकरार आज भी हैं
उस घड़ी जो हुआ था मुझें,
वो प्यार मुझकों आज भी हैं।

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9 OCT 2021 AT 0:41

कल रात फिर छिड़ी, बात उसकी,
मैं रातभर जागा, हर रात की तरह।

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4 AUG 2021 AT 0:20

मुझसे कहती थी, कि छोड़कर कभी ना जाऊँगी,
आज इसलिए, मेरे जनाज़े के साथ एक और ज़नाज़ा निकला हैं।

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31 MAR 2021 AT 11:44

इस उम्मीद में कि तुम आओगी लौट कर,
हमनें अपनी कहानी का आख़िरी पन्ना, ख़ाली ही छोड़ दिया ।

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30 MAR 2021 AT 0:07

तेरी "ना" की, न थी फ़िकर मुझकों,
एक तेरी ख़ामोशी का है, डर मुझको ।
ग़र तुझें नामंजूर हैं साथ चलना,
तो जाना नहीं अब, उस डगर मुझकों ।

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12 FEB 2021 AT 17:14

अपने दिल को, तू, टटोलता क्यों नहीं,
ग़र मैं चुप हूँ तो, तू ही कुछ बोलता क्यों नही।

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18 AUG 2020 AT 20:37

तुझें पाने की हसरत, तुझें खोने का डर
दरमियां इनके, कर रहा मैं ज़िन्दगी बसर।

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4 JUL 2020 AT 0:34

यूँ ना सोचा था,कि मुलाकात होगी,
हम दोंनो में ऐसी भी, कभी बात होंगी
हो जाऊँगा दीवाना मैं इस क़दर तेरा,
कि तेरे ख़्यालों में मेरी दिन-रात होगी।

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5 JUN 2020 AT 13:25

आग़ाज जैसा भी था, मगर अंजाम तुम थी
सब ख़बर थी सबको,बस एक अनजान तुम थी।।

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25 MAY 2020 AT 0:24

मैं हर ख़त में बातें अधूरी छोड़ता हूँ,
इस आश में कि शायद वो अधूरापन तुम्हें ख़ले
और फिर उस अधूरेपन को तुम अपने शब्दों से पूरा करों,
और यूँही चलता रहे अधूरेपन से मुकम्मल होने का ये सिलसिला।

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