उसकी हँसी,उसका चेहरा,उसके आँखों का वो घेराथा पसंद मुझकों,और वो पसंद बरकरार आज भी हैंउस घड़ी जो हुआ था मुझें,वो प्यार मुझकों आज भी हैं। -
उसकी हँसी,उसका चेहरा,उसके आँखों का वो घेराथा पसंद मुझकों,और वो पसंद बरकरार आज भी हैंउस घड़ी जो हुआ था मुझें,वो प्यार मुझकों आज भी हैं।
-
कल रात फिर छिड़ी, बात उसकी,मैं रातभर जागा, हर रात की तरह। -
कल रात फिर छिड़ी, बात उसकी,मैं रातभर जागा, हर रात की तरह।
मुझसे कहती थी, कि छोड़कर कभी ना जाऊँगी,आज इसलिए, मेरे जनाज़े के साथ एक और ज़नाज़ा निकला हैं। -
मुझसे कहती थी, कि छोड़कर कभी ना जाऊँगी,आज इसलिए, मेरे जनाज़े के साथ एक और ज़नाज़ा निकला हैं।
इस उम्मीद में कि तुम आओगी लौट कर,हमनें अपनी कहानी का आख़िरी पन्ना, ख़ाली ही छोड़ दिया । -
इस उम्मीद में कि तुम आओगी लौट कर,हमनें अपनी कहानी का आख़िरी पन्ना, ख़ाली ही छोड़ दिया ।
तेरी "ना" की, न थी फ़िकर मुझकों,एक तेरी ख़ामोशी का है, डर मुझको ।ग़र तुझें नामंजूर हैं साथ चलना,तो जाना नहीं अब, उस डगर मुझकों । -
तेरी "ना" की, न थी फ़िकर मुझकों,एक तेरी ख़ामोशी का है, डर मुझको ।ग़र तुझें नामंजूर हैं साथ चलना,तो जाना नहीं अब, उस डगर मुझकों ।
अपने दिल को, तू, टटोलता क्यों नहीं,ग़र मैं चुप हूँ तो, तू ही कुछ बोलता क्यों नही। -
अपने दिल को, तू, टटोलता क्यों नहीं,ग़र मैं चुप हूँ तो, तू ही कुछ बोलता क्यों नही।
तुझें पाने की हसरत, तुझें खोने का डरदरमियां इनके, कर रहा मैं ज़िन्दगी बसर। -
तुझें पाने की हसरत, तुझें खोने का डरदरमियां इनके, कर रहा मैं ज़िन्दगी बसर।
यूँ ना सोचा था,कि मुलाकात होगी,हम दोंनो में ऐसी भी, कभी बात होंगी हो जाऊँगा दीवाना मैं इस क़दर तेरा,कि तेरे ख़्यालों में मेरी दिन-रात होगी। -
यूँ ना सोचा था,कि मुलाकात होगी,हम दोंनो में ऐसी भी, कभी बात होंगी हो जाऊँगा दीवाना मैं इस क़दर तेरा,कि तेरे ख़्यालों में मेरी दिन-रात होगी।
आग़ाज जैसा भी था, मगर अंजाम तुम थीसब ख़बर थी सबको,बस एक अनजान तुम थी।। -
आग़ाज जैसा भी था, मगर अंजाम तुम थीसब ख़बर थी सबको,बस एक अनजान तुम थी।।
मैं हर ख़त में बातें अधूरी छोड़ता हूँ,इस आश में कि शायद वो अधूरापन तुम्हें ख़लेऔर फिर उस अधूरेपन को तुम अपने शब्दों से पूरा करों,और यूँही चलता रहे अधूरेपन से मुकम्मल होने का ये सिलसिला। -
मैं हर ख़त में बातें अधूरी छोड़ता हूँ,इस आश में कि शायद वो अधूरापन तुम्हें ख़लेऔर फिर उस अधूरेपन को तुम अपने शब्दों से पूरा करों,और यूँही चलता रहे अधूरेपन से मुकम्मल होने का ये सिलसिला।